Rajani Ray Case Story

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मन के हारे हार है ; मन के जीते जीत

रजनी राय, पिता परमेश्वर राय, माता बुच्ची देवी की प्रथम पुत्री हैं | गाँव शंकरपुर, प्रखंड जीरादेई, जिला सिवान (बिहार) की ये निवासी हैं | इनकी उम्र 19 वर्ष है | इनके दो छोटे भाई भी हैं। भाई-बहनों में ये सबसे बड़ी है | पिता जी गुजरात में एक प्राइवेट कम्पनी में काम करते हैं जिससे घर का खर्चा चलता है | माँ घर पर रहती हैं और बच्चों का देखभाल करती हैं | रजनी की प्रारम्भिक शिक्षा एक प्राइवेट स्कूल से शुरू हुई जो गाँव के बगल में ही था । आगे की पढाई के लिए महेंद्र हाई स्कूल जीरादेई में इनका नामांकन हुआ जहाँ से इन्होंने मैट्रिक और इंटर की परीक्षा सेकेण्ड डिविजन से पास की । अभी भी इनकी पढाई जारी है और ये B.A पार्ट 1 में पढ़ रही हैं |
बचपन से इनकी खेल में रूचि थी। फुटबॉल और कबड्डी खेलना बहुत पसंद था। महेंद्र हाई स्कूल में इन्होंने कबड्डी का प्रशिक्षण- अनीरुद्ध पटेल के साथ शुरू किया | एक बार स्कूल की ओर से पुर्णिया जाकर खेलने का मौका भी मिला।यह पहला मैच था और वह यह मैच हार गयीं | लेकिन उनकी यही हार अब जीतने के जूनून में बदल गई | जब कभी समय मिलता तो वे मोबाइल पर ही कबड्डी का स्किल और मैच देखने में बिताती । आगे बढ़ने की सोच को लेकर उन्होंने सुरवल गाँव में कबड्डी का अभ्यास करना अपने डेली रूटीन में शामिल कर लिया।
वर्ष 2020 में कबड्डी सीखने के लिये परिवर्तन सामुदायिक खेल से रजनी का, जुड़ाव हुआ | परिवर्तन के उड़ान खेल मैदान में, कबड्डी कोच- अभिमन्यु सिंह द्वारा खिलाड़ियों का नियमित अभ्यास कराया जाता है | परिवर्तन से रजनी के गाँव की दूरी 8 किलोमीटर है लेकिन वे अपने गाँव से स्कूटी ड्राइव करते हुए नियमित अभ्यास करने आज भी आती हैं | जब से परिवर्तन से जुड़ी हैं तब से आज तक 06 जिलास्तरीय और 06 राज्यस्तरीय मैच खेल चुकीं हैं। इसके अलावा स्थानीय और बाहरी मैचों में बहुत बार मैच खेल चुकी हैं |
वर्ष 2022 में पटना में आयोजत जूनियर राष्ट्रिय मैच में रजनी को खेलने का मौका मिला और इन्होंने सिल्वर मेडल हासिल किया । गाँव के लोग जो पहले रजनी पर खेल में समय और पैसा बर्बाद करने वाला व्यंग कसते थे उनके मेडल हासिल करने के बाद उनके भव्य स्वागत में लग गए। रजनी के अभिभावक तो उनका हौसला हमेशा ही बढ़ाते रहे हैं उनका सर भी ऊँचा हुआ।
रजनी परिवर्तन के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हुए कहती हैं-“ अभी तो बिहार टीम के लिए खेली हूँ लेकिन मेरा सपना है कि मैं अपने भारत देश के लिए खेलूं और मेडल लाऊं।

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Prince Kumar

प्रिंस राजकीय प्राथमिक विद्यालय संथू में पढने वाला पांचवीं का छात्र है | इसके पिता बढ़ई है | जिनका लकड़ियों...

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