मै जीतेन्द्र सिंह ग्राम बंगरा प्रखंड जीरादेई सिवान का निवासी हूँ | परिवर्तन कृषि इकाई से जुड़ कर परम्परागत रूप से कर रहे खेती के तौर – तरीकों में बदलाव करके आज एक सफल प्रगतशील किसान का मुकाम हासिल कर लिया हूँ |
कृषक जीतेन्द्र सिंह ने अपनी सफलता की कहानी को बताते हुए कहा –“ मैं हर साल जानकारी के आभाव में परम्परागत रूप से खेती कर रहा था और बेहतरीन फसल उगाने के लिए कड़ी मेहनत के बावजूद भी मुझे कम उत्पाद मिलता था, लागत अधिक आती थी । सही उत्पादन प्राप्त करने के लिए मैं परिवर्तन की कृषि इकाई से जुड़ा और नए सिरे से खेती करना शुरू किया ।”
श्री जीतेन्द्र नेअपनी खेती के बारे में विस्तार पूर्वक समझाते हुए बतलाया कि परिवर्तन से जुड़ने के बाद उन्होंने रोपी जाने वाली फसलों, उन्नत खेती के तरीकों को जाना और समझा कि उन्हें अपने खेती की सोच के बारे में क्या क्या बदलाव करना चाहिए। वे कहते हैं कि आजकल उन्हें राजमा की खेती बेहद पसंद आ रही है क्योंकि राजमा नगदी फसल है और वह बहुत आर्थिक लाभ दे रहा है। वे कहते हैं कि सबसे अश्वस्तकारी बात यह है कि राजमा फसल को बेचने के लिए कही बाहर नहीं जाना पड़ता है। इसकी बिक्री स्थानीय बाजार में आसानी से हो जाती है । “राजमा की खेती से मुझे मुनाफा अधिक प्राप्त होता है |”
वे परिवर्तन की विभिन्न कृषि गतिविधियों में नियमित भाग लेते रहते हैं। परिवर्तन परिसर में आयोजित रबी कार्यशाला में उन्होंने भाग लिया जहाँ पर उन्हें गेहूँ , सरसों की खेती के अलावा अन्य रबी फसलों और सीजन में राजमा की वैज्ञानिक रूप से खेती करने के बारे में बतलाया गया | जिसकी खेती उन्हें काफी दिलचस्प लगी।
अर्जित तकनीकी ज्ञान के से प्रभावित होकर उन्होंने सर्वप्रथम 5 कट्ठे में राजमा की खेती की जिसमें से उन्होंने 117 किग्रा. राजमा प्राप्त हूआ जिसे स्थानीय बाजार में 90 रूपये किग्रा. की दर से बिक्री कर उन्हें 10530 रूपये प्राप्त हुए | “5 कट्ठे राजमा की खेती करने में कुल 2600 रूपये की लागत आई जिससे मुझे क शुद्ध रूप से 7930 रु. प्राप्त हुए |” कृषक जीतेन्द्र जी का कहना है कि राजमा फसल अन्य फसलों की अपेक्षा कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसल है। उनकी इस लाभ वाली यात्रा से प्रभावित होकर गाँव के अन्य कृषक भी अब राजमा की खेती करने लगे है। , राजमा की खेती में कम पानी और कम कीट और-रोग लगते है |
कृषक जितेंद्र कहते हैं-“मैं इसकी खेती को और बढ़ा रहा हूँ, साथ- साथ अन्य किसानों को भी राजमा की फसल लगाने के लिए प्रेरित करता हूँ | परिवर्तन के कृषि विशेषज्ञों के तकनीकी सहयोग से मैंने अब आधे एकड़ में आम का बाग भी लगाया है साथ-साथ मेरे धान, गेंहू, मक्का के उत्पदान में भी बढ़ोतरी हई है ।मैं अपनी इस सफलता के लिए हमेशा परिवर्तन का शुक्रगुजार रहूँगा । “