Krishi Sandesh 01
गेंहू का मिनीकिट प्रदर्शन- आई० ए० आर० आई क्षेत्रीय केन्द्र पूसा के सहयोग से गेंहू की 7 प्रजातियों को जीरादेई प्रखण्ड के 25 कृषकों के खेत पर और आंदर प्रखण्ड के 4 कृषकों के खेत पर प्रदर्शन किया गया है इन प्रजातियों में एच० डी-2967, एच० डी 2733 एव० डी 2824 समय से बुवाई (नवम्बर के द्वितीय सप्ताह तक) के लिए सबसे अच्छी साबित हुई है जिसका पैदवार 65-70 कि० ग्रा व / कट्ठा के हिसाब से हुआ है पिछेती गेंहू
की बुआई के लिए एच० ड्ब्लु० 2045 अच्छी साबित हुई जिसकी उपज 45-50 कि० प्रति कट्ठा के हिसाब से हुआ।
Krishi Sandesh 03-04
वर्ष 2014-15 में कृषि विभाग के सहयोग से परिवर्तन ने अपने कार्य क्षेत्र के भरौली, नरेन्द्रपुर, बलईपुर, उज्जैनबंगरा, बंगरा टोला, धर्मपुर, बाबू भटकन गाँव में लगभग 16 एकड़ में जीरो टिल मशीन से गेंहू की बुआई कराई थी। इस तकनीक से किसानों को खेत की तैयारी के खर्च में लगभग 100/- रुपये
प्रति कठ्ठा की बचत हुई। परिवर्तन प्रांगण में 31 जनवरी, 2015
को रबी प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में
संरक्षित खेती की विभिन्न तकनीकों जैसे शून्य जुताई (जीरो टिलेज) से गेहूँ की बुआई में लागत की कमी एवं रबी मक्का की मेंढ़ पर बुआई करके जल की बचत एवं अधिक उत्पादन लेने की विधा से किसान भाइयों को अवगत कराना था। क्षेत्र के 50 पुरुष कृषक एवं 29 महिला कृषकों ने इस प्रोग्राम में भाग लिया। इस मौके पर कृषि विभाग, सिवान, शीसा कार्यक्रम के अधिकारियों एवं वैज्ञानिकों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। इस तकनीक को किसानों ने काफी सराहा।
Krishi Sandesh 05
जीरादेई प्रखंड के ग्राम महमूदपुर में दिनांक 8 फरवरी 2016 तथा
अंदर प्रखंड के हकमाहाता में 11 फरवरी, 2016 को आयोजन किया
गया। इस कार्यक्रम में भारी संख्या में किसानो ने भाग लिया। जिला
कृषि पदाधिकारी श्री राजेन्द्र कुमार वर्मा, आत्मा के परियोजना
पदाधिकारी श्री के के चौधरी तथा प्रखंड के कृषि अधिकारी/कृषि
सलाहकार भी मौजूद थे। जीरो टिल से बोये गए खेतो में जाकर
फसलों का अवलोकन किया गया। किसानो ने इस विधि से खेती
करने में लागत में कमी आने से संतोष व्यक्त किया तथा फसल की
जमाव एवं विकास पर प्रसन्नता जाहिर की। श्री वर्मा ने किसानो को
सलाह दिया कि खेती की योजना अपने खेत की स्थिति, तथा पानी
की उपलब्धता तथा संसाधनों को मद्देनजर रखकर करे। दलहनी
फसलो की खेती पर बल दिया। डॉ तिवारी ने किसानो को मैढ़ पर
दलहनी फसलो की बुआई का लाभ बताया।
Krishi Sandesh 06
अरहर की प्रजाति पूसा 9 की बुआई रेज्ड बेड प्लान्टर से की गई है। इस प्रदर्शन का उद्देश्य यह था की अरहर की फसल को अत्यधिक पानी से कोई नुकसान न हो तथा पौधे अपनी जरुरत के हिसाब से जल का उपयोग कर सके। समतल भूमि में बोई गई फसल से ऊँची उठी पट्टी पर बुआई करने से फसल के जड़ों, शाखाओं की अच्छी वृद्धि होती है तथा उपज ज्यादा प्राप्त होती है। वर्तमान में फसल खेत में लहलहा रही है तथा इसे देखकर लोग प्रभावित है।
Krishi Sandesh 07
परिवर्तन परिसर में भारत मौसम विज्ञान विभाग, पुणे के सौजन्य से 207वा मौसम वेधशाला का उदघाटन श्री अतुल कुमार सहाय, अतिरिक्त महानिदेशक, मौसम विज्ञान, पुणे के द्वारा दिनांक 23 अगस्त 2017 को पूर्वान्ह 11 वजे संपन्न हुआ। इस वेधशाला के बनने से सिवान क्षेत्र के कृषकों एवं
कृषि से जुड़े उद्यमियों को कृषि उत्पादन तथा उनकी गुणवत्ता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
Krishi Sandesh 08
किसान भाई एक वर्ष में तीन फसले - मक्का-तोरी-गेहूँ आसानी से उगाकर धान-गेहूँ / मक्का-गेहूँ की अपेक्षा ज्यादा पैसा कमा सकते हैं। मक्का की सितम्बर मध्य में
कटाई करके तुरंत तोरी प्रजाति पी टी 303 की बुआई करे। तोरी की यह प्रजाति 95-100 दिनों में तैयार हो जाती है इस प्रकार तोरी की दिसम्बर के प्रथम सप्ताह में कटाई
करके गेहूँ की सुगमता पूर्वक फसल ली जा सकती है।
Krishi Sandesh 09
खेती में बढ़ती लागत को कम करने एवं समय से गेंहू की बुआई संपन्न करने की दिशा में जीरो टिलेज के अंतर्गत खेती का महत्व बढ़ गया है। इस विधि में धान की
कटाई के तुरंत बाद बिना जुताई के जीरो टिलेज मशीन द्वारा मशीन में ही बीज एवं उर्वरक रखकर बुआई करते हैं। यह मशीन खेत में समान दूरी पर चीरा लगाती जाती है तथा बीज एवं उर्वरक समान रूप से उचित गहराई पर गिरते जाते हैं।
Krishi Sandesh 10
मक्का खरीफ की मुख्य फसल है। खरीफ में खरपतवारों की गहन समस्या होती है। मक्का में सकरी, चौड़ी पत्ती वाले एवं मोथा खरपतवार प्रचुर मात्रा में उगते हैं। एट्राज़िन नामक खरपतवार नाशक के प्रयोग से मोथा को छोड़कर
सभी प्रकार के खरपतवार नष्ट हो जाते हैं। मोथा खरपतवार का फैलाव भूमिगत ट्यूबर द्वारा होता है। इनका आसानी से नियंत्रण नहीं हो पाता है। मोथा खुरपी से निकालने पर पुनः निकल जाता है। मक्का में सभी प्रकार के खरपतवारों के नियंत्रण के लिए एट्राज़िन 400 ग्राम + लाडिस 115
मिलिलीटर, खरपतवारनाशकों का 120 लीटर पानी में घोल बनाकर बुआई के 15-20 दिन बाद खड़ी फसल में छिड़काव करने से मोथा के साथ-साथ सभी प्रकार के खरपतवार नष्ट हो जाते हैं। इस पर लगभग 1300 / प्रति एकड़ के
हिसाब से खर्च आता है।
Krishi Sandesh 11
परिवर्तन प्रांगण में किसान मेला दिनांक 16 फरवरी, 2019 को आयोजित किया गया। क्षेत्र के लगभग 350 किसानों ने मेले का लुत्फ़ उठाया। जीरादेई एवं अंदर प्रखंड के कृषि अधिकारियों एवं प्रसार कार्यकर्ताओं ने भी मेले में भाग लिया। भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र पूसा, नेशनल हॉर्टिकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट फेडरेशन पटना, के वैज्ञानिकों ने फसलोत्पादन की नवीनतम तकनीकों को चार्ट के माध्यम से प्रदर्शित किया।
Krishi Sandesh 12-13
परिवर्तन कैम्पस में किसान मेले का आयोजन दिनांक 19 फरवरी 2020 को किया गया जिसमें 600 से अधिक किसानों ने भाग लिया। अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय संस्थायें - हार्वेस्ट प्लस, पटना, शीसा गोरखपुर, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, नेशनल सीड कारपोरेशन, बिहार राज्य बीज निगम, नेशनल हॉर्टिकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट फ़ाउंडेशन पटना ने अपनी उपलब्धियों, उत्पादों, नवीनतम फसलों की प्रजातियों एवं सस्य तकनीकों से किसानों का ज्ञानवर्धन किया। बहुराष्ट्रीय कम्पनियां-बाएर इण्डिया, यूनाइटेड फॉस्फोरस लिमिटेड, रैलिस इंडिया, महिंद्रा, नागार्जुना, श्री राम, इंडो-गल्फ, एच पी यम, जैन इर्रिगेशन ने भी अपने-अपने उत्पादों को प्रदर्शित किया तथा किसानों को साहित्य प्रदान किया।
Krishi Sandesh 15-16
अरहर की फसलें अत्यधिक वर्षा जल की वजह से उकठ जाती हैं और मक्का की फसल उचित वर्षा
जल के अभाव में सूखने लगती है। अनुसंधानों से यह सिद्ध हो चुका है कि अरहर एवं मक्का की उठी हुई पट्टी अथवा मेंढ़ पर बुआई करने पर अत्यधिक वर्षा जल का इन फसलों पर कुप्रभाव नहीं पड़ता है|
Krishi Sandesh 17-18
किसान - नैनो यूरिया क्या है? इसकी प्रयोग विधि क्या है?
इफ्फको अधिकारी - नैनो यूरिया दानेदार यूरिया का तरल रूपी यूरिया है। नैनो यूरिया 4ml/लीटर पानी में घोल कर कड़ी धूप से बच कर के छिड़काव करें, छिड़काव के बाद 8-10 घंटे तक बारिश नहीं होनी चाहिये, बारिश हो जाने पर
पुनः छिड़काव की आवश्यकता होगी। किसान - नैनो यूरिया प्रयोग करना कठिन और खर्चीला है।
इफ्फको अधिकारी - मूल्य और पर्यावरणीय हितकारी होने के नाते यह काफी सस्ता है आने वाले समय में ड्रोन का चलन खेती में बढ़ेगा जिससे यह काफी आसान और सस्ता हो जायेगा।
Krishi Sandesh 19
किसानों की आय में वृद्धि के लिए उन्नत विधियों को अपनाकर प्रति इकाई, क्षेत्र में अधिक उत्पादन हेतु गरमा सब्जी की खेती अधिक लाभकारी है। सब्जी खेती को बढ़ावा देने हेतु परिवर्तन परिसर में गरमा सब्जी प्रबन्धन प्रशिक्षण का सफल आयोजन 19 जनवरी 2022 को किया गया। इस प्रशिक्षण में पुरुष और महिला कृषक शामिल रहे। इस प्रशिक्षण में स्वस्थ शरीर हेतु भोजन में सब्जी के महत्व के बारे में विस्तृत चर्चा हुई।
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परिवर्तन परिसर में दिनांक 19/09/23 को रबी कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस आयोजन में 66 किसानों और कृषि विज्ञान केंद्र से 3 कृषि विशेषज्ञों की सहभागिता रही। इस कार्यशाला में वैज्ञानिक विधि से खेती कर, कम
लागत में अधिक मुनाफ़े के तरीकों के बारे मेंसमझाया गया। इफ्फको के क्षेत्रीय अधिकारी ने इफ्फको द्वारा विकसित नैनो डी या पी उपयोगिता और प्रयोग विधि के बारे में जानकारी प्रदान की।
Krishi Sandesh 21
घटते चारागाहों और बदलते मौसम के कारण गर्मी के दिनों में
पशुपालक किसानों के समाने हरा चारा की समस्या दिन प्रतिदिन
बढ़ती जा रही है। रबी सीजन में किसान पैसा लेकर भूसा मशीन के
पीछे पीछे घूम रहे हैं फिर भी पर्याप्त मात्रा में भूसा नहीं मिल पा रहा हैं। मार्च और अप्रैल माह में परिवर्तन कृषि इकाई ने व्यक्तिगत सम्पर्क और बैठकों के माध्यम से पशुपालक किसानों को भूसा पर निर्भरता कम करने और वर्ष भर हरा चारा के उत्पादन की सलाह दी।